अभी तक आपने यही सुना होगा कि मर्द अपनी इच्छापूर्ति के लिए महिलाओं की बोली लगाते हैं। मगर अब हम आपको बताते हैं कि ये काम केवल मर्द ही नहीं करते, बल्कि महिलाएं भी करती हैं। वह भी अपनी इच्छापूर्ति के लिए लडक़ों को खरीदती हैं और उनकी बोली लगाती हैं। यह बात सुनने में बेशक अजीब लगे, मगर दिल्ली के कई बड़े इलाकों की यही हकीकत है। देश की राजधानी दिल्ली के कई पॉश इलाकों में खुलेआम पुरूषों की खरीददारी की जाती है। रात होते ही दिल्ली के कई इलाके मर्दों की मंडी में बदल जाते हैं।
लडक़ों को खरीदने पहुंचती हैं ये औरतें
अधिकांश अमीर घरों की औरतें अपनी पूर्ति के लिए इन मंडियों में पहुंचती हैं और मर्दों की खरीददारी कर उन्हें अपने साथ ले जाती हैं। बता दें कि जहां मर्दों की खरीद फरोख्त का कारोबार होता है, उसे जिगेलो मार्केट कहा जाता है। इस बाजार में रात होते ही बिकने के लिए मर्दों का जमावड़ा लग जाता है। कई लोग मजबूरी में यह धंधा करते हैं तो कई युवा शौक के लिए इस बाजार का हिस्सा बनते हैं।
इन इलाकों में लगती है मंडी
यह कारोबार रात के दस बजे से शुरू होकर सुबह चार बजे तक चलता है। दिल्ली के सरोजनी नगर, लाजपत नगर, कमला नगर, पालिका बाजार और कनॉट प्लेस सहित कई इलाकों में यह काराबोर जमकर होता है। कई स्थानों पर खुलेआम तो कई जगहों पर छुपकर यह धंधा किया जाता है। बता दें कि कुछ घंटों के लिए इन मर्दों की बुकिंग 1800 रुपए से लेकर 5 हजार और अधिकतम 10 हजार रुपए तक की जाती है।
कई युवा बना चुके हैं इसे अपना धंधा
दिल्ली सहित एनसीआर के कई युवा इस धंधे को अपना व्यापार भी बना चुके हैं। रात होते ही वह निर्धारित स्थानों पर पहुंच जाते हैं। पहचान के लिए उन्हें विशेष तौर के रूमाल और पटटे बांधने होते हैं। ताकि जिगेलो की आसानी से पहचान की जा सके। रूमाल और पटटे की लंबाई से जिगेलो के रेट तय होते हैं। लंबे रूमाल और पटटे वाले युवक की कीमत अधिक होती है। यह धंधा पूरी तरह से सिस्टम पर आधारित होता है। इन जिगेलो को अपनी कमाई की 20 प्रतिशत राशि उस कंपनी को देनी पड़ती है, जिसके माध्यम से वह इस बाजार से जुड़ता है। इस तरह से देश की राजधानी में केवल महिलाओं की ही बोली नहीं लगती, बल्कि मर्द भी इस पेशे के हिस्सा बनकर अपनी बोली खुद लगवाते हैं।