नगर निगम अधिकारी अवैध निर्माणों से होने वाली उगाही को लेकर इस तरह से मोटी चमड़ी वाले हो चुके हैं कि वह अब अपने बॉस केे आदेशों को भी कूडे की टोकरी में फेंक देते हैं। ऐसा ही एक मामला एनआईटी स्थित बस अडडे के सामने बन रहे अवैध निर्माण 1 एफ/ 41 को लेकर सामने आ रहा है। सिटीमेल में प्रकाशित इस अवैध निर्माण की खबर के बाद निगम के तोडफ़ोड़ विभाग ने वहां बुलडोजर चला दिया। हालांकि यह कार्रवाई केवल दिखावे के लिए थी, असल में वहां से उगाही कर ली गई। यही वजह है कि तोडफ़ोड़ की कार्रवाई के बाद दोबारा से वहां निर्माण कार्य शुरू हो गया। अब इस अवैध निर्माण को अंतिम रूप देकर वहां शटर लगाने की कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।
ज्वाइंट कमिश्नर ने लिया एक्शन
इस बीच जैसे ही यह जानकारी ज्वाइंट कमिशनर के संज्ञान में आई तो उन्होंने एक्शन ले लिया। ज्वाइंट कमिश्नर प्रशांत अटकान ने 1 एफ/ 41 के इस अवैध निर्माण को दोबारा से शुरू करने पर उसके मालिक एवं ठेकेदार के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाने के लिए थाना कोतवाली को पत्र लिख दिया। इसके बाद ज्वाइंट कमिश्नर ने तोडफ़ोड़ विभाग के एक्सईएन इंफोर्समेंट और एसडीओ को भी इस अवैध निर्माण को सील करने के लिखित आदेश जारी कर दिए। इस आदेश को जारी किए हुए आज काफी दिन हो चुके हैं, मगर अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। इसका सीधा सा मतलब है कि अवैध निर्माण करने वालों से बेहतर संबंध होना। इसके अलावा और भी सभी मतलब निकाले जा सकते हैं।
क्या कूडे में पड़े हैं ज्वाइंट कमिश्नर के आदेश
ज्वाइंट कमिश्नर प्रशांत अटकान ने इसी वर्ष 25 जनवरी को इस बिल्डिंग को सील करने के आदेश जारी किए थे। अब हैरत की बात है कि ज्वांइट कमिश्नर के आदेश एक तरह से अलमारी में बंद करके रख दिए गए हैं। ना तो थाना कोतवाली पुलिस कोई कार्रवाई कर रही है और ना ही ज्वाइंट कमिश्नर के अधीन आने वाले एक्सईएन और एसडीओ अपने बॉस के आदेशों का सम्मान कर रहे हैं। यह अपने आप में सभी अधिकारियों के लिए शर्म की बात है। इसके अलावा भी एनआईटी और बडख़ल क्षेत्रों में अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आई हुई है।
ये सभी अवैध निर्माण तोड़े गए थे मगर..
निगम प्रशासन ने पिछले दिनों बाटा पेट्रोल के बिल्कुल साथ लगते 1-बी ब्लाक में एक अवैध निर्माण को तोड़ा था। मगर अब यह निर्माण भी धड़ल्ले से बनाया जा रहा है। इसी प्रकार से मार्केट नंबर-1-के/ 19 में तोडफ़ोड़ की गई थी। यह अवैध निर्माण भी अब फिर से बनाया जा रहा है। इसे देखकर लगता है कि अवैध निर्माणों पर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई या तो उगाही के लिए की जाती है या फिर वहां से वसूली की रकम को दोगुणा करने के लिए। इस तरह से तोडफ़ोड़ विभाग प्रशासन और पुलिस का बेजा इस्तेमाल केवल अपने लाभ के लिए करता है। हैरत की बात है कि बड़े अधिकारी सब कुछ जानते हैं, मगर सभी चुप्पी साधे हुए हैं।