Faridabad News (citymail news) एक तरफ नगर निगम फरीदाबाद शहर के बाजारों से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाए हुए हैं, तो दूसरी ओर निगम मुख्यालय की नाक के नीचे दशहरा ग्राऊंड के पास चारों ओर लोगों ने अवैध दुकानें चलाई हुई हैं। बताया गया है कि इन अवैध दुकान चलाने वालों को निगम के एक बड़े अधिकारी ने सरंक्षण दिया हुआ है। इसके बदले इन दुकानदारों से 5-5 हजार रुपए की उगाही किए जाने की चर्चाएं हैं? धन उगाही की ये चर्चाएं उस समय सामने आईं, जब महकमे के ही कुछ कर्मचारी अतिक्रमण करके बैठे दुकानदारों को हटाने के लिए पहुंचे। तब उन्हें बताया गया है कि उन्होंने फ्लां साहब को पांच-पांच हजार रुपए इकठ्ठे करके भेजे हैं। यह सुनकर निगम के कर्मचारी मुंह लटकाकर वापिस चले आए। इससे साबित होता है कि निगम में इन दिनों अवैध निर्माण व अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए उनसे जमकर उगाही की जा रही है। जिस अधिकारी व कर्मचारी का जहां भी दांव लगता है, वहीं से जमकर उगाही शुरू हो जाती है।

तोडफ़ोड़ दस्ते का है बुरा हाल
यही हाल इन दिनों नगर निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते का है। कहने को तो निगम प्रशासन ने अवैध निर्माण व अतिक्रमण हटाने के लिए इस विभाग का गठन किया है। मगर काम उल्टा हो रहा है। विभाग में नियुक्त अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को निभाने की बजाए वहां से जमकर उगाही के धंधे में संलप्ति दिखाई दे रहे हैं। यही वजह है कि एनआईटी क्षेत्र सहित निगम एरिया में चारों ओर जमकर अवैध निर्माण हो रहे है। उन्हें रोकने की बजाए वहां से उगाही का धंधा किया जा रहा है।
शिकायत के बाद भी नहीं रोके गए अवैध निर्माण
बाटा पेट्रोल पंप के साथ 1 बी ब्लाक तथा प्लाट नंबर-10 नीलम बाटा रोड, एनआईटी 3 नंबर जी/ 205 तथा एनआईटी नंबर 3 डी के साथ साथ एनआईटी नंबर-5 में अवैध निर्माण धड़ल्ले से हो रहे हैं। एनआईटी नंबर-3 और 5 में तो अवैध फ्लैटों के निर्माण की बाढ़ आई हुई है। पंरतु इन अवैध निर्माणों को रोकने वाला महकमा उन्हें सरंक्षण दिए हुए हैं।

ठेकेदारी वाले जूनियर इंजीनियर को दिया चार्ज
हैरत की बात तो यह है तोडफ़ोड़ विभाग में इन दिनों ठेकेदारी प्रथा पर नियुक्त जूनियर इंजीनियरों को बिल्डिंग इंस्पेक्टर का चार्ज दिया गया है। जबकि देखा जाए तो ठेकेदारी प्रथा पर निगम में नौकरी करने वाले इन बिल्डिंग इंस्पेक्टर की कोई जिम्मेदारी तय नहीं है। अधिक से अधिक उन्हें ठेके से हटाया जा सकता है। जबकि स्थाई तौर पर कार्यरत अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के कई विकल्प प्रशासन के पास रहते हैं। निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है, जब ठेकेदारी पर काम करने वालों को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई हो। इससे भी अधिक आश्चर्य की बात तो ये है कि तोडफ़ोड़ विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने की बजाए अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए इस महकमे में नियुक्ति पा रहे हैं।
डीसी को चार्ज मिलने से जगी उम्मीद
निगम आयुक्त यश गर्ग का तबादला होने के बाद अब जिला उपायुक्त यशपाल यादव को कमिश्नर का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। लोगों को उम्मीद है उपायुक्त यशपाल यादव इस बिगड़े सिस्टम पर लगाम लगा पाएंगे। उनका अपना अनुभव और काम करने की नीति से निगम प्रशासन और फरीदाबाद शहर को उम्मीद अनुसार लाभ मिल पाएगा। बता दें कि इस समय निगम में सबसे अधिक बिगड़ा हुआ ढांचा तोडफ़ोड़ विभाग का है। इस महकमे से संबंधित सबसे अधिक सीएम विंडो पैडिंग हैं। इसी प्रकार इस महकमे में आरटीआई का भी लंबा चौड़ा रिकार्ड है। मगर इस विभाग के अधिकारियों को जिसकी कोई फ्रिक व चिंता नहीं है और ना ही अपने ऊपर होने वाली किसी कार्रवाई का डर है। इसलिए लोगों का कहना है कि इस ढर्रे में उपायुक्त यशपाल यादव जरूर सुधार ला सकते हैं।