नगर निगम फरीदाबाद अपने आप में घोटालों का बड़ा गढ़ बन चुका है। निगम में आए दिन बड़े बड़े मामले सामने आते रहते हैं। इन घोटालों को छुपाने के लिए कभी आग लगा दी जाती है तो कभी और कारनामों को अंजाम दे दिया जाता है। अब निगम में एक और बड़ा मामला सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री कोष से बनने वाली फरीदाबाद की महत्वपूर्ण सडक़ परियोजना विजिलेंस जांच के दायरे में आ गई है। सीएम ने विधायक सीमा त्रिखा की मांग पर इस सडक़ परियोजना को मंजूर किया था। इसके लिए 102 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई और नगर निगम के बड़े ठेकेदार आर.के. गांधी को इसका ठेका मिला। लेकिन सडक़ निर्माण आंरभ होते ही इसके कार्य पर उंगलिया उठने लगी। सडक़ में घटिया निर्माण सामग्री को लेकर तमाम शिकायतें और सवालिया निशान लगने लगे। इसके चलते ही अब इस सडक़ निर्माण को लेकर स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने जांच शुरू कर दी है। ब्यूरो के एक एक्सईएन स्तर के अधिकारी इस सडक़ निर्माण को लेकर जांच कर रहे हैं।
2018 में शुरू हुआ था सडक़ का काम-
बडख़ल विधानसभा के अंतर्गत इस सडक़ को शहीद भगत सिंह चौक से नीलम चौक, नीलम से बाटा चौक, बाटा चौक से हार्डवेयर होते हुए बीके चौक व एनआईटी नंबर-5 तक इसे बनाया जाना था। इस परियोजना में पूरे मार्ग को चौड़ा करते हुए दोनों तरफ नालियों का निर्माण, सर्विस रोड, एवं साईकिल टे्रक का निर्माण किया जाना है। इस परियोजना का कुल बजट 102 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया था। पंरतु ठेकेदार ने अभी तक सडक़ों को चौड़ा कर नए सिरे से बनाने के अलावा कुछ स्थानों पर मात्र डै्रनेज बनाने का काम ही किया जा सका है। जबकि वर्क आर्डर में शामिल अधिकांश काम ही नहीं किए गए हैं।
तारकोल की बजाए बना दी सीमेंट की सडक़-
वर्क आर्डर के अनुसार पैरीफेरी रोड की सडक़ तारकोल से बनाई जानी थी, पंरतु इस सडक़ के निर्माण की पूरी स्टोरी ही बदल दी गई। सडक़ बनाने से पहले ही राजनैतिक दबाव शुरू हो गया और इस सडक़ को तारकोल की बजाए सीमेंटिड बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। नीलम चौक से बाटा तक की सडक़ को तारकोल की बजाए सीमेंटिड बना दिया गया। हालांकि इसे चेंज करने से पहले नए सिरे से टेंडर जारी किया जाना था, मगर इस नियम को ठेंगे पर रख दिया गया। वहीं दूसरी ओर इस परियोजना को दो साल होने को आए हैं, मगर कई स्थानों पर डे्रनेज ही नहीं बनाए गए हैं। वहीं बीके चौक से लेकर दयानंद कॉलेज वाली रोड को तो चौड़ा ही नहीं किया गया है। वर्क आर्डर में इस रोड पर ऑटो लेन बनाने का भी प्रावधान किया गया था, मगर उसे भी अनदेखा कर दिया गया है। ऐसी ही तमाम गड़बडिय़ों की शिकायत स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को भेजी गई थीं। जिसके बाद इस परियोजना की जांच आरंभ कर दी गई है। नगर निगम के चीफ इंजीनियर वीके कर्दम ने स्वीकार किया है कि इस सडक़ की जांच विजिलेंस द्वारा शुरू की गई है।
आरटीआई एक्टिविस्ट विष्णु गोयल ने लगाए आरोप-
आरटीआई एक्टिविस्ट विष्णु गोयल ने नगर निगम अधिकारियों पर बड़े आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि निगम अधिकारियों की वजह से सरकारी धन का दुरूपयोग हो रहा है। तमाम बड़े घोटाले हो रहे हैं। अधिकारियों की मिलीभगत से जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस गई है। तमाम नियम व कायदे कानूनों को जूते की नोंक पर रखकर अधिकारियों को प्रमोशन दी जा रही है। उनकी मांग है कि नगर निगम फरीदाबाद के सभी बड़े अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच होनी चाहिए।