New Delhi: सात भाई बहन और अकेली मां को उस वक्त बाबूजी छोड़ कर चले गए। जब पिता की जरूरत थी। लेकिन फिर भी मां ने किसी भी बच्चों को पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। सभी भाई-बहन को खाना खिलाने के लिए मां ने सारे गहने बेच दिए। मां हमेशा कहती थी मेरे बच्चों असली गहने तुम हो। तुम पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बनो और नौकरी करो। समझो मेरा गहना मिल गया। यह कहानी उस आईएफएस अफसर की मां की है, जिन्होंने बचपन से ही काफी बुरे दौर देखे हैं। बावजूद उन्होंने कभी भी पीछे हटने का मन नहीं बनाया। जी हां आज आपके सामने हम एक ऐसी कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे पढक़र शायद आप भी अपने जीवन में कुछ बड़ा करने की ठान ले।

कौन है बालामुरुगन
पी. बालामुरुगन चैन्नई के कीलकतालाई के रहने वाले हैं। बचपन के दिनों में उनकी मां ने काफी कठिनाईयों से उनके सभी भाई-बहनों को पाला है। इस क्रम में मां को पहले जमीन तो कभी गहने भी बेचने पड़े। दूसरी ओर बालामुरुगन को अखबार पढऩे का काफी शौक था। लेकिन पैसे नहीं थे, फिर उन्होंने अखबार बांटने का काम किया। जिससे उन्हें कुछ पैसे मिलते थे। जिससे वह घर का खर्च चलाने में मदद करने लगे। खासा बात यह है कि भले ही उन्हें कई दिन बिना खाने के ही सोना पड़ता था। लेकिन वह बिना पढ़े किसी भी दिन सोते नहीं थे।

चौथी बार में पास किया सीविल परीक्षा, बने आईएफएस
बालामुरुगन ने इंजीयिरिंग की पढ़ाई की। कुछ साल एक निजी कंपनी में भी काम किया। लेकिन उनका मन सीविल सेवा की ओर था। इसके बाद उन्होंने तीन बार सीविल सेवा की परीक्षा दी। लेकिन सफल नहीं हुए। हालांकि चौथे प्रयास में उन्होंने सीविल सेवा की परीक्षा पास कर ली और उन्हें आईएफएस कैडर मिला। बताते चले कि बालामुरुगन राजस्थान के डुंगरपुर फोरेस्ट डिविजन में पोस्टेड हैं।
source – the better india