झारखंड में सखी बैंक के जरिए पेंशनभोगी, मनेरेगा मजदूर, छोटे उधारकर्ता और श्रमिकों को घर पर ही माइक्रो बैंक के जरिए पैसे मिल जाते हैं. इन लोगों का कहना है कि इससे हमारे समय की बहुत बचत हो जाती है. लोगों के घरों तक बैंक की सुविधा पहुंचाने के लिए गांवो में बिजनेस कॉरसपॉन्डेंट एजेंट (बीसी एजेंट) बनाए गए हैं. बीसी एजेंट लोगों के दरवाजे पर जाकर उनका खाता खोलने से लेकर सरकारी योजना तक में उनका नाम जोड़ती है. इन एजेंट के पास पैसों के लेन-देन के लिए माइक्रो एटीएम पोर्टेबल मशीन होती है.
बैंक के अधिकारी भी इनके काम से बेहद खुश हैं. अधिकारियों का कहना है कि गांव के होने के कारण लोग इन पर अत्यधिक विश्वास करते हैं. ये ग्रामीणों की बैंक से जुड़ी सभी सुविधाएं दिलाने में प्रयासरत रहती हैं. गांव के लोग इन महिलाओं को बैंक वाली दीदी कहकर पुकारते हैं, लोग इनके पास कभी भी पैसे लेने के लिए पहुंच जाते हैं. इन एजेंट का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को बैंक से जोड़ना है. झारखंड राज्य में अभी 1473 बीसी सखी हैं. ये सखी हर दिन 1 लाख रुपये का ट्रांजेक्शन करती हैं. एक बीसी एजेंट की सैलरी 5 हज़ार रुपये होती है और उनके काम पर भी सैलरी निर्भर करती है.
लाकडाउन के दौरान बीसी सखी से जुड़ी महिलाओं ने लोगों को घर पर ही बैंक से जुड़ी हर सुविधा पहुंचायी है. इतना ही नहीं, इन सखी महिलाओं ने लोगों को घर जाकर कोरोना से बचने के उपाय भी बताए हैं.