Faridabad News (citymail news ) ‘सदा पकड़ो मेरी बाहा किते रुल ना जावा, सुख विच पे के एनु भूल न जावा, चरना नाल जोड़ो हरी जी अपना विरद पछाना, स्वांसा दी माला नाल सिमरन मैं तेरा नाम..’ उस परमपिता परमात्मा के लिए उच्चारण करने वाली उक्त पंक्तियां लगता है हरियाणा सरकार भूल गई है, तभी तो होटल-मॉल, मार्किट सब प्रदेश सरकार द्वारा खोले गए परंतु धार्मिक स्थलों को ना खोलना धर्म के साथ-साथ इंसान की अस्था के साथ भी खिलवाड़ है। यह बात हरियाणा के पूर्व रणजी क्रिकेटर एवं आलोचक संजय भाटिया ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेसिंग से जिस प्रकार मॉल, मार्किट व होटल में प्रवेश दिया जा सकता है, उसी तर्ज पर धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत भी सरकार को देनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी पूरे विश्व में फैली है और ऐसा लगता है कि ईश्वर प्राणी मात्र से भी काफी रूष्ट दिखाई दे रहे है, दूसरी तरफ परमात्मा को मिलने पर सरकार द्वारा उस पाबंदी को ना खोलना सभी धर्माे के साथ न केवल खिलवाड़ है बल्कि अनुचित भी है। उन्होंने कहा कि इंसान को आंतरिक व मानसिक ऊर्जा की इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत है और वह मंदिर, गुरूद्वारा, चर्च व मस्जिद के अंदर मौजूद रहकर उस ईश्वर के सिमरन से ही मनुष्य को प्राप्त हो सकती है। आदमी आज घर में रहकर ईश्वर की स्तुति कर सकता है परंतु उसे आत्मिक सुख जो धार्मिक स्थल में जाकर व कीर्तन सुनकर मिलता है, उसकी अनुभूति इस संसार में सबसे ज्यादा स्मरिणय है, जिसे लगता है कि यह सरकार भूल चुकी है। ईश्वर का विश्वास ही है कि आज इंसान इस घोर विपदा में भी अपने आप, परिवार व समाज के साथ समायोजित बनकर चलने की कोशिश कर रहा है। श्री भाटिया ने कहा कि यह राजनीति का विषय नहीं है और हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि वह जल्द से जल्द धार्मिक स्थलों को खोले ताकि प्रत्येक मनुष्य को वहां जाकर आत्मिक बल मिले व ईश्वर के समक्ष हम संकीर्तन कर इस घोर विपदा से भी निजात पा सके।