Chandigarh News (citymail news ) हरियाणा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जबरदस्त लॉबिंग चल रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपनी पसंद का अध्यक्ष चाहते हैं। इसके लिए वह भरपूर प्रयास भी कर रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने पहुुंचे और उन्हें प्रदेश की सारी स्थिति से अवगत करवाया है। भाजपा अध्यक्ष व प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद हरियाणा में भाजपा अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर चर्चाएं और तेज हो गई हैं। सीएम को लगातार सलाह दी जा रही है कि वह उसी को प्रदेश अध्यक्ष बनवाएं,जिससे उनका तालमेल बेहतर रहे। अन्यथा प्रदेश अध्यक्ष से तनातनी के बीच सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा। माना जा रहा है कि सीएम मनोहर लाल पूरी तरह से परखकर ही प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहेंगे। जहां तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की मोहर लगने का मामला है तो सीएम द्वारा प्रस्तुत नाम पर हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जानी हैं। बताया गया है कि सीएम को इस मामले में भी फ्री हैंड दिया गया है। वह जिसके नाम पर अपनी सहमति दिखाएंगे, उसके सिर पर ही प्रदेश अध्यक्ष का ताज रख दिया जाएगा। बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष को लेकर इस समय केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर का नाम प्रमुखता के साथ सामने आ रहा है। गुर्जर की खासियत यह है कि उनकी मुख्यमंत्री के साथ टयूनिंग अच्छी है। वरिष्ठ होने के नाते केंद्र में उनके रिश्ते सभी से मधुर हैं। लगातार दो बार वह प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। गुर्जर गैरविवादित नेता होने के साथ साथ सोच समझकर बोलने के लिए भी जाने जाते हैं। सीएम मनोहर लाल जब भी संकट में घिरे हैं, कृष्णपाल गुर्जर ने उनका पूरा साथ दिया है। लेकिन गुर्जर की एक शर्त है कि वह पंजाब के भाजपा अध्यक्ष एवं मंत्री विजय सांपाला की तर्ज पर ही इस पद को स्वीकारेंगे। गुर्जर की बात साफ है कि वह केंद्रीय मंत्री के पद पर रहते हुए ही भाजपा अध्यक्ष का सेहरा पहनेंगे। उनकी इस शर्त पर भाजपा आलाकमान का क्या रूख रहता है, इस पर निर्णय होना बाकि है। उनके अलावा पूर्व मंत्री ओपी धनखड़, कैप्टन अभिन्यु भी इस दौड़ में काफी आगे हैं। यदि जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात चली तो इनमें से किसी एक के नाम पर निर्णय लिया जा सकता है। ओपी धनखड़ के सीएम के साथ बेहतर रिश्ते हैं, जबकि कैप्टन अभिमन्यु अपनी शर्तों के आधार पर राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं। केंद्र के भाजपा नेताओं से लेकर सरकार तक में कैप्टन की गहरी पैठ है। वह बेशक चुनाव हार गए हो , मगर भाजपा के भीतर उनकी छवि उजली मानी जाती है। जहां तक मुख्यमंत्री के साथ रिश्तों का सवाल है तो कैप्टन को कठपुतली नेता नहीं माना जा सकता। इनके अलावा वैश्य व पंजाबी नेता के नाम भी इस चर्चा में चल तो रहे हैं, मगर भाजपा के अंदरूनी समीकरण के हिसाब से उन पर सहमति बनना कठिन माना जा रहा है। एक तो मुख्यमंत्री खुद पंजाबी बिरादरी से हैं तो वैश्य बिरादारी से विधानसभा अध्यक्ष ताल्लुक रखते हैं। इन दोनों के चलते वैश्य व पंजाबी बिरादरी को सरकार में पूरा प्रतिनिधित्व मिला हुआ है। इसलिए ये दो बिरादरी दौड़ में पीछे चल रही हैं। इसी कड़ी में विधायक महीपाल ढांडा, पलवल के विधायक दीपक मंगला व प्रदेश महासचिव संदीप जोशी का नाम भी तेजी से चल रहा है, इन सभी के मुख्यमंत्री से अच्छे व बेहतर संबंध भी जगजाहिर हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री मौजूदा अध्यक्ष सुभाष बराला को भी अध्यक्ष पद पर बने देखना चाह रहे हैं। बराला व सीएम के बीच बेहतर तालमेल किसी से छुपे नहीं है। लेकिन बराला को हटाने को लेकर ही नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश की जा रही है। यदि बराला के नाम पर सहमति बनती तो फिर नए अध्यक्ष को खोजने की जरूरत नहीं थी। माना जा रहा है कि जल्द ही इस पर फैसला लिया जा सकता है और भाजपा को अपना नया अध्यक्ष भी मिल सकता है।